मीडिया कर्मियों पर कवरेज के दौरान हो रहे हमलों के खिलाफ चीफ जस्टिस ऑफ इण्डिया सुप्रीम कोर्ट को ज्ञापन
शशि दीप मुंबई
मुंबई। देश भर में चल रहे लोकसभा चुनाव कवरेज के दौरान पत्रकारिता कर्तव्यों का निर्वाहन कर रहे मीडिया कर्मियों पर हो रहे हमलों पर चिंता व्यक्त करते हुए पत्रकारों की सुरक्षा व कल्याण के लिए प्रतिबद्ध अखिल भारतीय पत्रकार संगठन प्रेस ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स ने आवाज़ उठाई। संगठन के संस्थापक अध्यक्ष ने चीफ जस्टिस ऑफ इण्डिया सुप्रीम कोर्ट को भेजे गए ज्ञापन में मीडिया कर्मियों पर हो रहे हमलों पर चिंता व्यक्त करते हुए कठोर कदम उठाने की अपील की।
संगठन की ओर से सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के चीफ जस्टिस को भेजे गए ज्ञापन में लिखा कि
“वर्तमान संदर्भ में सम्पूर्ण देश में लोकसभा चुनाव सम्पादित कराये जा रहे हैं। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा व्यापक व्यवस्था के अभाव में देश भर में चुनाव प्रभावित होने आदर्श आचार संहिता उल्लंघन की घटनाएँ प्रकाशित प्रसारित हो रही है। ऐसे विकट समय में लोकसभा चुनाव कवरेज के दौरान पत्रकारिता कर्तव्यों का निर्वाहन कर रहे मीडिया कर्मियों पर हो रहे हमले चिन्ताजनक है। उत्तरप्रदेश की रायबरेली लोकसभा सीट पर केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह द्वारा संबोधित एक रैली में पत्रकार श्री राघव त्रिवेदी के साथ पिटाई की घटना हो या पश्चिम बंगाल के बेहरामपुर में सत्तारूढ़ दल की रैली में एएनआई की महिला पत्रकार के साथ शारीरिक छेड़छाड़ की घटना, इन सभी में पत्रकारिता के दोहन का प्रयास किया जा रहा है। जबकि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (क) के वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता यानी प्रेस की आजादी जो कि मौलिक अधिकार के अर्न्तगत आते हैं का जमकर दोहन किया गया तथा निरन्तर किया जा रहा है जो कि चिन्तनीय है।
ज्ञापन मे उल्लेखित किया गया कि देश में मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ माना जाता है लेकिन वास्तविकता ये है कि ज्यादातर सरकारें हमें समाज का हिस्सा ही नहीं मानती है। यदि हमें भी समाज का हिस्सा माना जाता तो जो सामाजिक सुरक्षा अन्य वर्ग के लोगों को हासिल है वो ही हमें भी हासिल हुई होती। स्वतंत्र एवं निष्पक्ष पत्रकारिता पर हो रहे हमले लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को कमजोर कर रहे है। स्वतंत्र प्रेस लोकतंत्र की आधारशिला को बल प्रदान करती हैं ऐसे में लोकसभा चुनाव की कवरेज के दौरान पत्रकारों पर हमले पत्रकारिता को कमजोर करने का प्रयास है। जिस पर अंकुश लगाना नितांत आवश्यक है। भारत निर्वाचन आयोग के व्यवहार के परिणाम स्वरूप उसकी निष्पक्ष छवि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
संगठन के संस्थापक अध्यक्ष डॉ सैयद खालिद कैस ने ज्ञापन में कहा देश की मीडिया को दयावान मान्यवर से न्याय व सुरक्षा की प्रत्याशा है। लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ की रक्षा को मददेनजर रखते हुए देश भर में चल रहे लोकसभा चुनाव कवरेज के दौरान पत्रकारिता कर्तव्यों का निर्वाहन कर रहे मीडिया कर्मियों पर हो रहे हमलो को जघन्यतम अपराध की श्रेणी में रखते हुए भारत सरकार गृह मंत्रालय को निर्देशित करने की अपील की।