भोपाल। रिपब्लिक टीवी सम्पादक सहित अन्य पत्रकारों के विरुद्ध महाराष्ट्र में मुम्बई पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई के बाद देश भर में पत्रकार संगठनों एवं उनके पदाधिकारियों की प्रतिक्रियाएं इन दिनों आ रही हैं।यहाँ तक कि केंद्र सरकार भी इसको आपातकाल कहता थक नही रहा।केंद्र सरकार के मंत्रियों को मुम्बई पुलिस द्वारा अर्नब गोस्वामी एन्ड कम्पनी पर चलाये गये चाबुक का असर दिखाई दे रहा है।अब केंद्र सरकार और भाजपा को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और पत्रकारों के अधिकारों की चिंता सता रही है।
अफ़सोस की बात यह है कि लॉक डाउन हो,तब्लीगी जमात मामला हो , पालघर हादसा हो या सुशांत सिंह एपिसोड हो सबमे रिपब्लिक टीवी ,अर्नब गोस्वामी सहित अन्य ख़बरिया चैनल्स ने जिस तरह अपने चैनल्स के माध्यम से वैमनस्यता को ,साम्प्रदायिक उन्माद को भड़काया वह सब पत्रकारिता की परिभाषा और व्यवसायिक आचरण के विपरीत होकर निंदनीय था।
केंद्र सरकार और भाजपा के भरपूर समर्थन का परिणाम था कि अर्नब गोस्वामी व अन्य ने कॉंग्रेस, छग मुख्यमंत्री या महाराष्ट्र मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ अमर्यादित, असंवैधानिक भाषा शैली का उपयोग किया। तथा जब अर्नब गोस्वामी सहित अन्य के खिलाफ छत्तीसगढ़ सहित देश के अन्य राज्यो में दर्ज एफआईआर हुई तो उसपर भी किसने रोक लगवाई यह किसी से छिपा नही है।एफआईआर पर रोक लगने का ही परिणाम था कि यह लोग निरंकुश होकर ज़हर उगल रहे थे।
वही दूसरी और योगी, मोदी सरकार द्वारा निष्पक्ष पत्रकारिता के पक्षधर श्री वर्धराजन, विनोद दुआ के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराते समय पूरे भारत में ख़ामोशी ने सवाल खड़े किये थे। आज पत्रकारिता को कंलकित करने वालो के साथ सहानुभूति न्यायसंगत प्रतीत नही होती है।
रिपब्लिक टीवी के खिलाफ एफआईआर होने के बाद कल यह खबर आई कि निजी न्यूज चैनल्स का प्रतिनिधित्व करने वाले समूह न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (NBA) ने टीवी न्यूजरूम में काम करने वाले पत्रकारों को टकराव में निशाना बनाए जाने पर चिंता जताई है।
एनबीए का मानना है कि रिपब्लिक टीवी (Republic TV) और मुंबई पुलिस के बीच टकराव से मीडिया और पुलिस, दोनों प्रमुख संस्थानों की विश्वसनीयता और प्रतिष्ठा के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है। ‘एनबीए’ इस बात को लेकर भी चिंतित है कि टीवी न्यूजरूम में काम करने वाले पत्रकारों को अब इस टकराव में निशाना बनाया गया है।
एनबीए की ओर से जारी एक स्टेटमेंट में कहा गया है, ‘रिपब्लिक टीवी जिस तरह की पत्रकारिता करता है, एनबीए उस का समर्थन नहीं करता, हालांकि रिपब्लिक टीवी, एनबीए का सदस्य नहीं है और हमारी आचार संहिता का पालन नहीं करता, तो भी इसके एडिटोरियल स्टाफ के खिलाफ केस दायर करने की कार्यवाही पर हमें सख्त ऐतराज है। हम भारत के संविधान में मीडिया को दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्षधर हैं, लेकिन इसके साथ ही हम पत्रकारिता में नैतिकता के मानदंडों और रिपोर्टिंग में निष्पक्षता और संतुलन बनाए रखने के हिमायती भी हैं।’
स्टेटमेंट के अनुसार,‘एनबीए न्यूजरूम में काम करने वाले पत्रकारों को निशाना बनाए जाने के किसी भी प्रयास की निंदा करता है, लेकिन साथ ही मीडिया की तरफ से बदले की भावना से की गई रिपोर्टिंग का भी विरोध करता है। हम ऐसी आधारहीन खबरें दिखाए जाने की निंदा करते हैं जो नियम कानून को लागू करवाने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के काम में बाधा डालती है।
प्रेस क्लब ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट्स ने रिपब्लिक भारत टीवी सहित अन्य ख़बरिया चैनल्स द्वारा जिस प्रकार की पत्रकारिता का ट्रेंड अपना रखा है वह निंदनीय है तथा चिंता का विषय है। विचारो की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का यह अर्थ नहीं कि पत्रकार नैतिकता का हनन करें, पत्रकारिता को स्तरहीन बनाएं,जो भी कानून तोड़े सज़ा का उत्तरदायी है।