सुप्रीम कोर्ट के मानवाधिकार वादी अधिवक्ताओं पर त्रिपुरा पुलिस द्वारा यूएपीए के तहत कारवाई दुर्भाग्यपूर्ण, त्रिपुरा सरकार की निंदा ,राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपे जाएंगे।
गुजरात। त्रिपुरा में दंगाइयों द्वारा धर्म विशेष के लोगों के घरों को नष्ट करने ,धार्मिक स्थानों को जलाने, प्रताड़ना देने की घटनाओं की सोशल मीडिया के माध्यम से खबर मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट के मानवाधिकार वादी अधिवक्ताओ की एक टीम ने त्रिपुरा जाकर पीड़ितों से मुलाकात कर सच्चाई को उजागर किया था।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय, नई दिल्ली और मानवाधिकार संगठनों के अधिवक्ताओं की एक संयुक्त जांच टीम द्वारा एक तथ्यात्मक जांच में प्रारंभिक तथ्य सामने आए हैं। जांच दल ने एक संयुक्त प्रेस बयान जारी कर कहा था कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय, नई दिल्ली और मानवाधिकार संगठनों के अधिवक्ताओं की एक संयुक्त जांच टीम ने त्रिपुरा में कई प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। जांच दल ने पीड़ित पक्षों से मुलाकात कर घटना की जानकारी व तथ्य जुटाए। जांच दल इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले की घटनाओं को लेकर त्रिपुरा में 51 जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए। प्रदर्शन के बाद हिंसा शुरू हो गई। जांच दल के सामने जो तथ्य सामने आए हैं, वे मुख्य रूप से संकेत देते हैं कि यदि सरकार ने समय पर उचित कदम उठाए होते तो घटना इतना विकराल रूप नहीं लेती। उनका कहना है कि जांच टीम जल्द ही दिल्ली में अपनी विस्तृत रिपोर्ट जारी करेगी और यह रिपोर्ट भारत के राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, केंद्रीय गृह सचिव, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भेजी जाएगी।
जांच दल में संयुक्त रूप से अधिवक्ता एहतेशाम हाशमी (भारत के सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता), लोकतंत्र के लिए वकीलों के अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव, अधिवक्ता अंसार इंदौरी (सचिव, मानवाधिकार संगठन, राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन (एनसीएचआरओ) और नागरिक अधिकार संगठन पीपुल्स के अधिवक्ता शामिल हैं। यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) मुकेश थे।
जानकारी अनुसार मानवाधिकारवादी अधिवक्ताओं के इस जांच दल की कार्यवाही से बौखलाई त्रिपुरा पुलिस ने दंगाइयों के खिलाफ कार्यवाही के स्थान पर इन्ही अधिवक्ताओं पर यूएपीए के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है। जबकि इतनी दरंदगी के बावजूद केवल 05लोगों के गिरफ्तार होने ओर 11एफ आई आर होने की जानकारी डीआईजी ने दी।
दुर्भाग्य का विषय है कि त्रिपुरा में हुई मानवाधिकार विरोधी घटना की सच्चाई को उजागर करने वाले अधिवक्ताओं के खिलाफ त्रिपुरा पुलिस ने जो कानूनी कारवाही की उसके संज्ञान में आने के बावजूद अल्पसंख्यक वर्ग विशेषकर मुसलमानों के नाम पर देश भर में रोटियां सेकने वाली पार्टियां,दल और कथित नेताओं ने जो चुप्पी बांध रखी है वह निंदनीय है।
आल इंडिया ह्यूमन राइट्स एंड सोशल जस्टिस काउंसिल ओर प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद खालिद कैस भोपाल मध्यप्रदेश, राष्ट्रीय महासचिव शाकिर मलिक आनंद गुजरात ,राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीपी बंशल एडवोकेट, खेमराज चौरसिया,राष्ट्रीय सचिव घनश्याम पाटीदार,राष्ट्रीय सचिव डॉक्टर रीमा ईरानी दिल्ली, राजेंद्र कुमार करनाल हरियाणा ने सुप्रीम कोर्ट के मानवाधिकार वादी अधिवक्ताओं पर त्रिपुरा पुलिस द्वारा यूएपीए के तहत कारवाई को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए त्रिपुरा सरकार की निंदा की तथा इस घटना के खिलाफ महामहिम राष्ट्रपति महोदय को ज्ञापन सौंपे जाएंगे।