सूचना अधिकार अधिनियम के साथ खिलवाड़ करते मध्यप्रदेश के विभाग ,परिवहन विभाग का तुगलकी फरमान असंवैधानिक


@पुष्पा चंदेरिया भोपाल

भोपाल। अभी पिछले माह ही सारे भारत ने सूचना अधिकार अधिनियम लागू होने की 16वीं वर्ष गांठ बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाई।देश में सैकड़ो आयोजन भी हुए। देश में इस कानून की महत्ता पर भी बड़े व्यापक स्तर पर बल दिया गया। परंतु उसके विपरीत यदि मध्यप्रदेश के स्तर पर देखा जाए तो सूचना अधिकार अधिनियम के साथ सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में जमकर खिलवाड़ की जा रही है और एक अरसे की जा रही है। शासन प्रशासन मौन है, फलत:उनकी खामोशी ही इस सबको संरक्षण का प्रमाण है। नतीजा यह निकल कर आ रहा है कि सूचना अधिकार अधिनियम के आधार पर शासन प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले कार्यकर्ताओं का शासकीय स्तर पर दोहन किया जा रहा है।

हाल ही में राजधानी के समीपस्थ जिला देवास के पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट राहुल परमार को क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी उज्जैन का एक पत्र मिला जिसमे उल्लेख किया गया था कि श्री परमार द्वारा सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी के कुल दस्तावेज 46470 पृष्ठ हैं जिनका शुल्क 100/प्रति पृष्ट की दर से रुपए 4647000/जमा करना है। चाही गई जानकारी के पृष्ठ संख्या और मांगा गया शुल्क प्रथम दृष्ट्या अत्याधिक है तथा विभाग द्वारा इस बात का उल्लेख केवल आवेदक को भयभीत कर जानकारी प्रकट होने से रोकना है।

क्या मांगी थी जानकारी:
पत्रकार राहुल परमार ने दिनांक 12.10.2021को एक आवेदन पत्र प्रस्तुत कर जानकारी मांगी थी कि परिवहन विभाग द्वारा 30मार्च 2020के बाद आवेदन दिनांक तक BS 4 वाहनों के पंजीयन के दस्तावेज प्रमाणित दिए जाएं। ज्ञात हो कि BS 4 वाहनों के पंजीयन पर भारत सरकार ने रोक लगाई है ओर विभाग द्वारा पंजीयन किया गया है।

 

जानकारी उजागर होने से बचाने के लिए विभाग ने किया प्रपंच:
आवेदक राहुल परमार के अनुसार परिवहन विभाग द्वारा जारी पत्र में परिवहन आयुक्त के परिपत्र क्रमांक5269/2015/ग्वालियर दिनांक 15/10/2015 के अनुसार सूचना अधिकार अधिनियम में चाही गई जानकारी का शुल्क प्रति पृष्ट 100रुपए लिखा गया है। अधिक शुल्क का विवरण देकर विभाग द्वारा आवेदक को भयभीत कर जानकारी उजागर होने से बचाने का प्रपंच दिखाई देता है। क्योंकि चाही गई जानकारी से विभाग के अनियमित आचरण की पोल खुलने की प्रबल संभावना है जिसे इस प्रकार रोका गया है।

100रुपए प्रति पृष्ठ राशि असंवैधानिक:
आर टी आई एक्टिविस्ट कॉन्सिल के अध्यक्ष सैयद खालिद कैस ने मध्यप्रदेश सरकार पर सूचना अधिकार अधिनियम को कमजोर करने और आरटीआई एक्टीविस्ट को प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए कहा कि अधिनियम की मूल भावना के विपरीत परिवहन विभाग द्वारा अपने परिपत्र के माध्यम से सूचना अधिकार अधिनियम में चाही गई जानकारी का शुल्क प्रति पृष्ट 100रुपए निर्धारित करना असंवैधानिक है।इस प्रकार इतनी राशि के भुगतान के आभाव में आवेदक को जानकारी प्राप्त नहीं होगी और विभाग अपने काले पतित चेहरे के कलंक को छिपाए रखेगा। श्री कैस ने कहा संगठन शीघ्र ही परिवहन विभाग के इस परिपत्र को अपास्त कराने के लिए कानूनी कार्यवाही करेगा।