बेगूसराय में बेखौफ अपराधियों ने पत्रकार की गोली मारकर की हत्या
देश भर में पत्रकार उत्पीड़न की घटनाओं के थमने का कोई आधार नज़र नही आ रहा है। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का दर्जा रखने वाली पत्रकारिता हर मोर्चे पर उत्पीड़न की शिकार हो रहे।शासन सत्ता के टारगेट पर रहने वाले पत्रकार माफियाओं के निशाने पर हमेशा रहते हैं।प्रशासनिक तंत्र चाहे पुलिस हो या प्रशासन ताक में रहते हैं पत्रकार का उत्पीड़न करने के लिए। भय व आतंक के बीच अपने कर्तव्यों का निर्वाहन करने वाला पत्रकार दूषित मानसिकता का शिकार हो रहा।
गौर तलब हो कि बेगूसराय बखरी परिहारा ओपी क्षेत्र के बहुआरा साखू गांव में शुक्रवार की शाम बेखौफ अपराधियों ने एक स्थानीय पत्रकार को गोली मारकर निर्मम हत्या कर दी।
मृतक पत्रकार की पहचान साखू गांव निवासी सुभाष कुमार के रूप में की गयी. घटना के बारे में बताया जाता है कि पत्रकार सुभाष गांव में ही अपने परिजनों के साथ भोज खाकर घर वापस लौट रहे थे. इसी बीच पत्रकार की हत्या करने के लिए पूर्व से घात लगाकर बैठे हथियारबंद दो अपराधियों ने उनके आते ही गोली चलाना शुरू कर दिया। एक गोली उसके सिर में और दूसरी गोली शरीर के दूसरे भाग में लगी घटना में गंभीर रूप से घायल पत्रकार को स्थानीय लोग व उनके परिजनों ने इलाज के लिए बखरी पीएचसी में भर्ती कराया, जहां ड्यूटी पर तैनात चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
पत्रकार सुभाष कुमार की हत्या कोई पहली घटना नही है।देश भर में पत्रकार समाज के प्रति माफिया,सफेद पोश अपराधियों,शासन सत्ता में बैठे जन प्रतिनिधि हैं या लोकसेवक हो ,सबकी टेडी नजर पत्रकार समाज पर हमेशा गड़ी रहती है। अपने ज़मीर को बैचकर पत्रकारिता करने वाले सुरक्षित रहते हैं परंतु सच उजागर करने वाले क्रांतिकारी पत्रकार हमेशा अपराधियों के टारगेट पर रहते है।यह कोई पहली ओर आखिरी घटना नही बरसों से पत्रकार समाज को ठगा जा रहा है।अपने प्राणों की आहुति देने वाले पत्रकारों के प्रति सरकार का रवैया संतोषजनक नहीं है।आजादी के 75वर्ष गुजर जाने के बाद भी आज तक पत्रकार समाज की सुरक्षा के लिए पत्रकार सुरक्षा कानून का लागू नहीं होना ही सरकार की नीयत को स्पष्ट करता है।
पत्रकार सुरक्षा एवम कल्याण के लिए प्रतिबद्ध अखिल भारतीय पत्रकार संगठन प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट के संस्थापक अध्यक्ष सैय्यद खालिद कैस ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पत्रकार सुरक्षा का मामला प्रादेशिक सरकार के सिर डालकर केंद्र सरकार अपना पल्ला झाड़ लेती है वहीं प्रादेशिक सरकारें पत्रकार सुरक्षा कानून लागू नहीं करके पत्रकारों की आहुतियां ले रही हैं।वर्तमान परिदृश्य में संपूर्ण भारत में पत्रकार समाज को सुरक्षित करना नितांत आवश्यक हो गया है।
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