दिल्ली। रमन सरकार की पत्रकार विरोधी सरकार के ध्वस्त होने के बाद छत्तीसगढ़ में कॉंग्रेस शासित भूपेश बघेल सरकार के आने के बाद प्रदेश के पत्रकारों को यह विशवास हो गया था कि भूपेश सरकार उनकी सुरक्षा और कल्याण के लिए कार्य करेगी।परन्तु सरकार के गठन को 2 साल गुजर जाने के वावजूद प्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानून नही बनना, पत्रकारों के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज होना बदस्तूर जारी है,जो यह साबित करता है कि रमन सरकार और वर्तमान सरकार में कुछ ख़ास परिवर्तन नही है। पत्रकार विरोधी सरकार के खिलाफ प्रदेश में ख़ासा विरोध नज़र आ रहा है।ताजा मामला रायगढ़ जिले के ब्लॉक लैलूंगा के पत्रकार आशुतोष मिश्रा के खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज होने का प्रकाश में आया है। प्राप्त जानकारी अनुसार रायगढ़ जिले का ब्लॉक लैलूंगा में पत्रकार आशुतोष मिश्रा पर एसडीएम, तहसीलदार, और थानाप्रभारी ने गलत तरीके से एफ आई आर दर्ज करवाई है ।
छत्तीसगढ़ की 15 साल की रमन सरकार में जिस प्रकार पत्रकारों का शोषण हुआ वह किसी से छिपा नही है।पत्रकारों को भूपेश सरकार से सुरक्षा एवं कल्याण की आशा थी,परन्तु यह सरकार भी रमन सरकार की भांति लोकतंत्र के चोथे स्तम्भ पर निरंतर प्रहार कर रही है जो निंदनीय है।
प्रेस क्लब ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद ख़ालिद क़ैस ने अशुतोष मिश्रा प्रकरण में छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव सहित पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर विरोध जताते हुए पत्रकारों पर हो रहे हमले पर अंकुश लगाने की मांग की है तथा पत्रकार सुरक्षा एवं कल्याण के लिए महत्त्वपूर्ण कदम उठाने पर बल दिया है।
अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति के छत्तीसगढ़ प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द शर्मा गौर ने रायगढ़ के ब्लॉक लैलूंगा के पत्रकार आशुतोष मिश्र में खिलाफ की गई झूठी एफआईआर की निंदा करते हुए दोषी एसडीएम, तहसीलदार, और थानाप्रभारी को निलंबित करने की मांग मुख्यमंन्त्री से की है।साथ ही आंदोलन की चैतावनी भी दी।