राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस कब मनाया जाता है?
प्रत्येक वर्ष भारत में 16 नवम्बर को राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस मनाया जाता है। 1920 के दशक के दौरान, लेखक वाल्टर लिपमैन और एक अमेरिकी दार्शनिक जॉन डेवी, नें एक लोकतांत्रिक समाज में पत्रकारिता की भूमिका पर अपने विचार विमर्श को प्रकाशित किया था।

पत्रकारिता जनता और नीति निर्माताओं के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाता है। इस सन्दर्भ में महत्वपूर्ण भूमिका एक पत्रकार निभाता है। ये पत्रकार कुलीन वर्ग द्वारा बोले गये  संदेश को सुनते हैं और उन्हें रिकॉर्ड करते हैं। तत्पश्चात इस सूचनाओं को संसाधित किया जाता है और जनता के हितार्थ सूचना के लिए प्रकाशित किया जाता है।

पत्रकारिता किसे कहते है?
पत्रकारिता आधुनिक सभ्यता का एक प्रमुख व्यवसाय है जिसमें समाचारों का एकत्रीकरण, लिखना, जानकारी एकत्रित करके पहुँचाना, सम्पादित करना और सम्यक प्रस्तुतीकरण आदि सम्मिलित हैं। आज के युग में पत्रकारिता के भी अनेक माध्यम हो गये हैं; जैसे – अखबार, पत्रिकायें, रेडियो, दूरदर्शन, वेब-पत्रकारिता आदि।

पत्रकारिता की शैलियाँ:
पत्रकारिता में घटनाओं का लिखित रूप में वर्णन करने के लिये बहुत सी शैलियों का प्रयोग किया जाता है जिन्हें “पत्रकारिता शैलियाँ” कहते हैं।समाचार पत्रों और पत्र-पत्रिकाओं में प्रायः विशेषज्ञ पत्रकारों द्वारा लिखे गए विचारशील लेख प्रकाशित होते है जिसे “फीचर कहानी” (रूपक) का नाम दिया गया है। फीचर लेख ज़्यादातर लम्बे प्रकार के लेख होते है जहाँ सीधे समाचार सूचना से अधिक शैली पर ध्यान दिया जाता है। अधिकतर लेख तस्वीर, चित्र या अन्य प्रकार के “कला” के साथ संयुक्त किये जाते हैं। कभी-कभी ये मुद्रण प्रभाव या रंगो से भी प्रकशित किये जाते है।

पत्रकारिता विभिन्न प्रकार की हो सकती है, नीचे पत्रकारिता के विभिन्न प्रकारो को दर्शाया गया है:-

एम्बुश पत्रकारिता
सेलिब्रिटी पत्रकारिता
कन्वर्जेंस पत्रकारिता
गोंजो पत्रकारिता
खोजी पत्रकारिता
नई पत्रकारिता
विज्ञान पत्रकारिता
खेल पत्रकारिता
पत्रकारिता से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
ऐसा कहा जाता है की पत्रकारों में अक्सर निष्पक्षता को अस्वीकार करने की प्रवृत्ति होती है। वे सामान्य समय में अन्य आम मानकों और नैतिकता को बनाए रखने में ध्यान देते हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका में संघीय अदालत को स्रोतों की रक्षा करने का कोई अधिकार नहीं है। इस सन्दर्भ में सुरक्षा राज्य की अदालतों द्वारा प्रदान की जाती है।
पत्रकारिता के अंतर्गत समाचार लेखन की अनेक शैलियों को देखा जाता है। समाचार पत्र और पत्रिकाओं में अक्सर उन्ही सूचनाओ का जिक्र किया जाता है जिन्हें पत्रकारों द्वारा लेखक की दृष्टि से सुविधाजनक माना जाता हैं।
फ़ीचर से जुड़े लेख अक्सर वास्विक लेखन से लम्बे होते हैं। इस सन्दर्भ में अक्सर वास्विक घटनाओं पर ध्यान न देकर समाचार की लेखन शैली पर दिया जाता है। जिसमें कोई सूचना चित्रों से भरी पड़ी रहती है। इसके अलावा जोभी सूचनाएं दी गयी रहती हैं वे सभी पिक्टोग्रफिक रूप में रहती हैं ताकि लोगो का अधिक से अधिक ध्यान आकर्षित किया जा सके।
एकाएक पत्रकारिता के अंतर्गत अचानक ऐसे प्रश्न पूछे जाते हैं जिनके सन्दर्भ में कोई भी व्यक्ति उत्तर नहीं देना चाहता। वस्तुतः पत्रकारों की यह रणनीति होती है की सूचना को किस तरह से प्राप्त किया जाये।
विज्ञान समाचार से जुडा पत्रकार विज्ञान के विकास से संवंधित सूचनाओं के एकत्रित करता है। साथ ही वैज्ञानिक समुदाय के मध्य किसी जानकारी के सन्दर्भ में किन-किन चीजो को लेकर विरोध की स्थिति बनी रहती है उनका कवरेज करता है। इसके अलावा वह किसी आपदा से जुड़े खबरों और ग्लोबल वार्मिंग से जुड़े मुद्दों को भी अपनी खबरों में शामिल करता है।
एम्बुश पत्रकारिता में आक्रामक रणनीति होती है जिसके बाद पत्रकारों का सामना अचानक होता है और उन लोगों से सवाल करता है जो आमतौर पर पत्रकार से बात नहीं करना चाहते हैं।
विज्ञान के पत्रकार विज्ञान के विकास को समाचार कवरेज और वैज्ञानिक समुदाय के भीतर विवादों को भी चुनते हैं। ग्लोबल वार्मिंग, और कभी-कभी महामारी जैसे विभिन्न विषयों पर वैज्ञानिक समुदाय के भीतर असहमति की डिग्री को अधिक करने के लिए विज्ञान पत्रकारिता की आलोचना की जा रही है।