छतरपुर। पत्रकारिता लोक तंत्र का चौथा स्तम्भ है तो हिंदी उसकी आत्मा है। हिंदी के बिना भारतीय पत्रकारिता महत्वहीन है। हिंदी भाषा ओर पत्रकारिता के मध्य अटूट सम्बन्ध से इनकार नहीं किया जा सकता है।
पत्रकार सुरक्षा एवं कल्याण के क्षेत्र में संघर्षरत अखिल भारतीय संगठन “प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स” के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद ख़ालिद क़ैस द्वारा हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए हिंदी पत्रकारिता की अलख जगाने वाले सम्पूर्ण पत्रकार बिरादरी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की।

भारत माता को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त करने का बीड़ा पत्रकारिता ने अपने कंधों पर उठाया था। देश की आजादी से लेकर, साधारण आदमी के अधि‍कारों की लड़ाई तक, हिंदी भाषा की कलम से इंसाफ की लड़ाई लड़ी गई। वक्त बदलता रहा और पत्रकारिता के मायने और उद्देश्य भी बदलते रहे, लेकिन हिंदी भाषा से जुड़ी पत्रकारिता में लोगों की दिलचस्पी कम नहीं हुई, क्योंकि इसकी एक खासियत यह भी रही है कि इस क्षेत्र में हिंदी के बड़े लेखक, कवि और विचारक भी आए। हिंदी के बड़े लेखकों ने संपादक के रूप में अखबारों की भाषा का मानकीकरण किया और उसे सरल-सहज रूप देते हुए कभी उसकी जड़ों से कटने नहीं दिया।

संगठन द्वारा इस वर्ष हिंदी पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ठ योगदान देने वाले पत्रकारों को हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर सम्मान पत्र से सम्मानित किया गया है।