प्रेस (Press) समाचार को लाने का सबसे पुराना और विश्वस्त तरीका है. प्रेस (Press) की आजादी से किसी भी देश में अभिव्यक्ति की आजादी का पता चलता है. प्रेस समाज का आइना होता है जो समाज में घट रही हर अच्छी बुरी चीज को जनता के सामने लाता है. लेकिन आज प्रेस की भूमिका का दायरा असीमित हो गया है. कल तक जो प्रेस जनता को समाज का आइना दिखाता था वह आज सरकारी दवाब और अधिक बलवान और धनवान बनने की चाह में अपने आदर्शों के साथ समझौता करता नजर आ रहा है।
आज प्रेस (Press) और मीडिया लोगों के लिए एक पेशा बन कर रह गया है. खबरें आज समाज से निकाली कम जाती हैं और उन्हें बनाई ज्यादा जाती हैं. लेकिन प्रेस (Press) की आजादी को छीनना भी देश की आजादी को छीनने की तरह ही होता है. चीन, जापान, जर्मनी, पाकिस्तान जैसे देशों में प्रेस को पूर्णत: आजादी नहीं है. यहां की प्रेस पर सरकार का सीधा नियंत्रण है।
लेकिन भारत में प्रेस का आजादी है. भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत इस आजादी को व्याख्यायित किया गया है. प्रेस की स्वतंत्रता संविधान के अनुच्छेद 19(1)(क) के अंतर्गत दी गई वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में अंतर्निहित है कि एक व्यक्ति न केवल अपने विचारों के प्रचार का अधिकार रखता है, बल्कि वह चाहे मौखिक रूप से या लिखित रूप से उनको प्रकाशित, प्रसारित तथा परिचालित करने का अधिकार भी रखता है. लेकिन साथ ही यह भी कहा गया है कि प्रेस की स्वतंत्रता निरंकुश नहीं है. बल्कि उस पर हर प्रकार से उचित प्रतिबंध लगाया जा सकता है. इमर्जेंसी जैसे हालातों में भारत में भी प्रेस पर अंकुश लगाया गया था।
हालांकि प्रेस जहां एक तरफ जनता का आइना होता है वहीं दूसरी ओर प्रेस जनता को गुमराह करने में भी सक्षम होता है इसीलिए प्रेस पर नियंत्रण रखने के लिए हर देश में अपने कुछ नियम और संगठन होते हैं जो प्रेस को एक दायरे में रहकर काम करते रहने की याद दिलाते हैं।
@सय्यद खालिद कैस