PRESS COUNCIL OF WORKING JOURNALISTS

*संगठन में – *नियम नहीं, व्यवस्था होती है*।
*संगठन में – *सूचना नहीं, समझ होती है*।
*संगठन में – *क़ानून नहीं, अनुशासन होता है*!
*संगठन में – *भय नहीं, भरोसा होता है*।
*संगठन में – *शोषण नहीं, पोषण होता है*।
*संगठन में – *आग्रह नहीं, आदर होता है*।
*संगठन में – *संपर्क नहीं, सम्बन्ध होता है*।
*संगठन में – *अर्पण नहीं, समर्पण होता है*।
*संगठन में – *मैं “नहीं “हम” होता है*।
*संगठन में- *आत्मप्रशंसा” नहीं “सर्व सम्मान” होता है।*
*संगठन में- *तोड़ना नहीं, जोड़ना होता है।*

*इसलिए स्वयं को संगठन से जोड़े रखें।*
*संगठन सामूहिक हित के लिए होता है, व्यक्तिगत “स्पर्धा” और “स्वार्थ” के लिए नहीं।*
*प्रशंसा सबकी करो निंदा किसी की नहीं।*

*प्रेस कौंसिल ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट्स( पत्रकार सुरक्षा एवं कल्याण के लिए सतत प्रतिबध्द संगठन ) से जुड़कर पत्रकार सुरक्षा कानून के हमारे अभियान में सहभागिता सुनिश्चित करें।
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